Uttrakhand Flood Crises- Disaster at Uttarakhand


उत्तराखंड के तीन जिलों रुद्रप्रयाग, चमोली व उत्तरकाशी में जलप्रलय से हुई भारी तबाही ने कितनी जिंदगियां ले लीं, इसे लेकर स्थिति अब तक पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है। हालांकि तीन दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद केंद्र को भेजी रिपोर्ट में गुरुवार को राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया कि दैवीय आपदा के शिकार हुए लोगों में से 13,806 अब भी लापता हैं। यानी, करीब 14 हजार जिंदगियां कहीं आपदा के सैलाब में समा चुकी हैं या फिर प्रभावित क्षेत्र के किसी अनजान हिस्से में मदद का इंतजार कर रही हैं, कुछ नहीं पता। चार दिन पूर्व उत्तराखंड में आई दैवीय आपदा में सबसे ज्यादा तबाही केदारनाथ घाटी में हुई है। प्राचीन केदारनाथ धाम का अधिकतर हिस्सा मलबे के ढेर में तब्दील हो गया, जबकि केदानाथ के अहम पड़ाव रामबाड़ा का नामोनिशान ही मिट गया। गौरीकुंड में भी चारों ओर तबाही का मंजर पसरा हुआ है। यही वजह है कि इन तीनों जगहों पर जानमाल का सर्वाधिक नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र की ओर से दी जा रही सूचनाओं के मुताबिक अब तक कुल 72 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि गुरुवार को केदारनाथ से 17 शव और निकाले गए हैं। लापता लोगों के बारे में शासन-प्रशासन की ओर से कोई भी जानकारी नहीं दी जा रही है। ऐसे में आपदा के वास्तविक नुकसान को लेकर अब तक तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है। बहरहाल, गुरुवार को केंद्र को भेजी गई एक रिपोर्ट में राज्य सरकार ने माना कि दैवीय आपदा की चपेट में आए 13806 लोगों का अब तक कुछ अता-पता नहीं चल पाया है। रिपोर्ट में बताया गया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में 31 हजार से ज्यादा लोग सुरक्षित निकाल लिए गए हैं, जबकि 50 हजार से अधिक लोग अब भी प्रभावित क्षेत्रों में ही फंसे हुए हैं।


तबाही के बाद केदारनाथ धाम की तस्वीर
प्राकृतिक आपदा के चलते प्रदेश में तीन दिन(20 जून से 22 जून) का राजकीय शोक घोषित किया गया है। इस अवधि में राज्य के समस्त सरकारी कार्यालय, विभाग व संस्थानों में राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे। इस दौरान कोई भी शासकीय, मनोरंजन व उद्घाटन कार्यक्रम आदि आयोजित नहीं किए जाएंगे। जागरण।

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